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।। चक्रव्यूह।।

मत  बांधो  इन  बंधनों  में  मुझे।  आजाद  हूँ  आजाद  रहने  दो।। जीता  हूँ  जीने  दो।  मरता  हूँ  मरने  दो।। अरे  छोड़  दो  मुझे  मेरे  हाल  पे।  जो  है  ही  नहीं  वो  बता  कर  डराते  हो  मुझे। जरा  समझने  की  कोशिश  तो  करो।।  भटक  चुके  थे  बचपन  में  ही,  नादान  थे  समझ  न  थी।  तुम  भटकाते  रहे  और  हम  भटकते  रहे।।  अब  मुझे  मेरा  रास्ता  खुद  ढूंढ़ने  दो।  वजह  न  बनो  मेरे  भटकने  की।।  तुम्हारा  ख्याल  है  मुझे,  न  कभी  भूल  पाउँगा।  भरोसा  रखो  कुछ  कर  दिखाऊंगा।। जो  अब  तक  हुआ  है, अच्छा  हुआ  है।  और  अब  जो  होगा  वो  भी  अच्छा  ही  होगा। यूँ   ही  सहानुभूत्ति  देते  रहो। वक़्त  आएगा  जब  सब  समझ  में  आएगा।।