आज, अभी, इसी पल।
हम जन्मे हैं हम मरेंगे। जो चाहते हैं करना वो कब करेंगे? कहते हैं कल करेंगे। होता वो कल भी आज ही है।। बिता हुआ कल भी आज ही था और। आने वाला कल भी आज ही होगा। सोचो इस बात की गहराई को।। तो जो करना है वो कल क्यों। आज क्यों नहीं, अभी क्यों नहीं ? खुदसे धोकाधड़ी कर रहे हैं हम। खुदसे झूठ बोलते हैं हम।। फस गए हैं इन डोरों में हम। ये डोरें बुनी भी हमने ही हैं।। सोचते हो की आएगा वो पल। तो जान लो की यही है वो पल।। मुश्किल नहीं है इतना। जितना चाहत को हमने बना दिया।। सब जानते हुए भी क्यों बनते हैं अनजान हम। अरे इतने अनजान तो ना हैं हम।। काल करे सो आज कर, आज करे सो अब। पल में प्रलय होएगी बहुरि करेगा कब। । - कबीर दास। टिप्पणी जरूर करें।